अगर इतनी ही नफरत है हमसे तो,
दिल से कुछ ऐसी दुआ करो,
की आज ही तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये,
और हमारी ज़िन्दगी भी।12

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कभी उसने भी हमें मोहब्बत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।13

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उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।14

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तुम नफरत करो या मोहब्बत,
दोनों हमारे हक में बेहतर हैं,
नफरत करोगे तो हम तुम्हारे दिमाग में,
मोहब्बत करोगे तो दिल में बस जायेंगे।15

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गुजरे हैं इश्क़ में हम इस मुकाम से
नफरत सी हो गई है मोहब्बत के नाम से
हम वो नहीं जो मोहब्बत में रो कर के
जिंदगी को गुजार दे…
अगर परछाई भी तेरी नजर आ जाए
तो उसे भी ठोकर मार दें।16

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खुदा सलामत रखना उन्हें,
जो हमसे नफरत करते हैं,
प्यार न सही नफरत ही सही,
कुछ तो है जो वो हमसे करते हैं।17

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न मोहब्बत संभाली गई, न नफरतें पाली गईं,
अफसोस है उस जिंदगी का, जो तेरे पीछे खाली गई।18

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मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली यारो,
वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते है।19

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मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली यारो,
वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते है।20

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एहसास बदल जाते हैं बस और कुछ नहीं,
वरना नफरत और मोहब्बत एक ही दिल में होती है।21

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कुछ जुदा सा है मेरे महबूब का अंदाज,
नजर भी मुझ पर है और नफरत भी मुझसे ह23

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फिर यूँ हुआ के गैर को दिल से लगा लिया,
अंदर वो नफरतें थी के बाहर के हो गये।22

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ये मत कहना कि तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा,
मैं खुद तन्हा रहा पर दिल को तन्हा नहीं रखा,
तुम्हारी चाहतों के फूल तो महफूज रखे हैं,
तुम्हारी नफरतों की पीड़ को जिंदा नहीं रखा।24