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भुलाना ही था मुझको तो नफरत का सहारा क्यूँ,
डूबने देते मुझको यूँ ही दिखाया था किनारा क्यूँ
अदावत तो है अपनी नफरतों के रहनुमाओं से
जो दिल में दे जगह उससे भला न क्यूँ सुलह कर लें5

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वो दुश्मन बनकर मुझे जीतने निकले थे
मुहब्बत कर लेते मै खुद ही हार जाता

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कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था 57

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कुछ लोग तो मुजसे सिर्फ इसलिए भी नफरतकरते हैं
क्योंकि..बहुत सारे लोग मुझसे प्यार करते हैं 58
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छोटी सी इस कहानी को
एक और फ़साना मिल गया,
उनको हमसे नफ़रत का
एक और बहाना मिल गया !!
वो लोग अपने आप में कितने अज़ीम थे
जो अपने दुश्मनों से भी नफ़रत न कर सके63

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जिस क़दर नफ़रत बढ़ाई उतनी ही क़ुर्बत बढ़ी
अब जो महफ़िल में नहीं है वो तुम्हारे दिल में है 64

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कैसे उन्हें भुलाऊँ मोहब्बत जिन्हों ने की
मुझ को तो वो भी याद हैं नफ़रत जिन्हों ने की 65

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वह मोहब्बत भी उसकी थी, वह नफरत भी उसकी थी
वह अपनाने और ठुकराने की अदा भी उसकी थी
हम अपनी वफा का इंसाफ किससे मांगते
वह शहर भी उसका था वह अदालत भी उसकी थी66

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अजीब सी आदत और गजब की फितरत है मेरी
मोहब्बत हो कि नफरत हो बहुत शिद्दत से करता हूं

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दिलों में गर पली बेजा कोई हसरत नहीं होती
हम इंसानों को इंसानों से यु नफरत नहीं होती68

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दुनिया को नफरत का यकीन नहीं दिलाना पड़ता
मगर लोग मोहब्बत का सबूत ज़रूर मांगते है.

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गुजरें हैं राह ए इश्क में हुम उस मुकाम से
नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से70

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नफरतों का सिलसिला जारी है
लगता है दूर जाने की तयारी है
दिल तो पहले दे चुके हैं हम
लगता है अब जान देने की बारी है71