छोटी सी इस कहानी को
एक और फ़साना मिल गया,
उनको हमसे नफ़रत का
एक और बहाना मिल गया !!
वो लोग अपने आप में कितने अज़ीम थे
जो अपने दुश्मनों से भी नफ़रत न कर सके63
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जिस क़दर नफ़रत बढ़ाई उतनी ही क़ुर्बत बढ़ी
अब जो महफ़िल में नहीं है वो तुम्हारे दिल में है 64
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कैसे उन्हें भुलाऊँ मोहब्बत जिन्हों ने की
मुझ को तो वो भी याद हैं नफ़रत जिन्हों ने की 65
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वह मोहब्बत भी उसकी थी, वह नफरत भी उसकी थी
वह अपनाने और ठुकराने की अदा भी उसकी थी
हम अपनी वफा का इंसाफ किससे मांगते
वह शहर भी उसका था वह अदालत भी उसकी थी66
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अजीब सी आदत और गजब की फितरत है मेरी
मोहब्बत हो कि नफरत हो बहुत शिद्दत से करता हूं
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दिलों में गर पली बेजा कोई हसरत नहीं होती
हम इंसानों को इंसानों से यु नफरत नहीं होती68
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दुनिया को नफरत का यकीन नहीं दिलाना पड़ता
मगर लोग मोहब्बत का सबूत ज़रूर मांगते है.
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गुजरें हैं राह ए इश्क में हुम उस मुकाम से
नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से70
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नफरतों का सिलसिला जारी है
लगता है दूर जाने की तयारी है
दिल तो पहले दे चुके हैं हम
लगता है अब जान देने की बारी है71
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हक़ से अगर दो तो नफरत भी कबूल हमें
खैरात मैं तो हम तुम्हारी मोहब्बत भी ना लें.72
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हर चीज़ नहीं है मरकज़ पर
इक ज़र्रा इधर इक ज़र्रा उधर
नफ़रत से न देखो दुश्मन को
शायद वो मोहब्बत कर बैठे73
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नए साल में पिछली नफ़रत भुला दें
चलो अपनी दुनिया को जन्नत बना दें74
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दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ
बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए75
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दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ
बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए76
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पिला दे ओक से साक़ी जो हम से नफ़रत है
पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे 77
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ख़ुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा
जिसे नफ़रत है उस के आदमी से78
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नफ़रत-ओ-बोग़्ज़-ओ-अदावत का अन्धेरा दूर हो,
बज़्म मे डालो तुम ऐसी रौशनी आफ़ताब की !!79
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आज तय कर लिया है फुर्क़त में
उम्र गुज़रेगी तुम से नफ़रत में80
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नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा
क्यूँकर कहूँ लो नाम न उन का मिरे आगे81
पिला दे ओक से
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साक़ी जो मुझ से नफ़रत है
पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे82
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~मिर्ज़ा_ग़ालिब
होने को यूँ तो शहर में अपना मकान था
नफ़रत का रेगज़ार मगर दरमियान था
दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ
बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए ~ShujaKhaawar